Friday, 29 December 2017
चावल कम देने पर राशन कोटेदार का लाइसेंस रद्द।
00:05
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जिला आपूर्ति अधिकारी (डीएसओ) ने 12 राशन दुकानदारों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन दुकानों का बुधवार को डीएम, एडीएम आदि अफसरों ने निरीक्षण किया था। एक का लाइसेंस निलंबित किया गया है। वहां पर एडीएम सिटी सतीश पाल को 19.82 क्विंटल चावल कम मिला था।
एडीएम सिटी सतीश पाल ने कृष्णा नगर के रितेश सिंह की दुकान की जांच की थी तो वहां रेट बोर्ड, स्टाक बोर्ड नियम के अनुसार प्रदर्शित नहीं था। कल्पना शुक्ला की दुकान पर उन्हें 1.50 क्विंटल चावल कम मिला था जबकि विमला देवी की दुकान पर एक क्विंटल गेहूं और 19.82 क्विंटल चावल कम मिला था। मामले में अब डीएसओ विजय प्रभा अवस्थी ने विमला देवी की दुकान का लाइसेंस निलंबित किया है। रितेश सिंह, गीता, कल्पना शुक्ला, श्री शर्मा, किशोर कुमार, राम कुमार, आलोक विश्वकर्मा, संदीप कुशवाहा, शिवराज यादव, सर्वेश कुमार, राजकुमारी, राजकुमार गुप्ता, चंद्रशेखर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
बिना पी.ओ.एस मशीन बांटा राशन !
एडीएम वित्त एवं राजस्व संजय चौहान ने जाजमऊ स्थित कोतवाल की दुकान पर छापा मारा। जांच में पता चला कि दुकानदार ने 10 उपभोक्ताओं को बिना पीओएस मशीन के ही राशन बांट दिया है। नियम है कि बिना मशीन पर अंगुली का निशान लगवाए राशन नहीं बांटा जाएगा।
Monday, 18 December 2017
सिक्कों की वजह से बढ़ रही महंगाई।
22:19
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बैंकों की मनमानी और भारतीय रिजर्व बैंक की चुप्पी जनता पर महंगाई का बोझ डाल रही है। करोड़ों रुपये के सिक्कों तले दबे कारोबारी अब सिक्के कमीशन पर बदलने को मजबूर हैं और इसे अपने सामान की लागत में जोड़ रहे हैं। इससे जीएसटी लागू कर महंगाई पर अंकुश लगाने के केंद्र सरकार का सपने बिखर रहा है। वहीं आम आदमी की जेब पर अधिक बोझ पड़ रहा है। बैंक जहां सिक्के जमा करने से इन्कार कर रहे हैं और आरबीआइ इस संबंध में कोई कड़ा कदम नहीं उठा रही है।
कानपुर में इस समय 200 करोड़ रुपये से अधिक के सिक्के बाजार में हैं। सिक्कों की बहुतायत को देखते हुए कारोबारियों ने सिक्के लेना बंद किया तो कारोबार पर असर पड़ने लगा। उन्होंने सिक्के लेने शुरू किए तो कारोबारी पूंजी फंसने लगी। इससे निजात पाने के लिए कारोबारियों ने सिक्कों को नोटों में बदलना शुरू किया। रेजगारी को नोटों में बदलने वाले एजेंट इसका फायदा उठा रहे हैं और 15 फीसद से लेकर तीस फीसद तक कमीशन ले रहे हैं।
नयागंज के कारोबारी हों या फिर कचरी, फूड प्रोसेसिंग और अगरबत्ती के उत्पादक, कमीशन एजेंट के मनमाने रेट पर रेजगारी बदल रहे हैं। इसका असर दिखा कि कारोबारियों ने इस पैसे को उत्पाद की लागत में जोड़ दिया और उसी के अनुसार कीमत बढ़ा दी है। कुछ ने मात्रा कम कर दी है। एक रुपये से पांच रुपये तक नमकीन, सोया, कचरी जैसे प्रोडक्ट बनाने वाले एक कारोबारी का कहना है कि पहले वह जिस पैकेट में 35 ग्राम सामान पैक करते थे, अब उसी रेट में तीस ग्राम की पैकिंग कर रहे हैं।
अगरबत्ती उत्पादक एसके सिन्हा कहते हैं, अगरबत्ती जैसे काम फुटकर कारोबार पर चलते हैं। सेल्समैन बेचता है, दुकानदार सिक्के भी देते हैं। इन सिक्कों को न लें तो कारोबार न चले और लें तो कमीशन पर बदलें। कारोबारी क्या करें। सरकार कारोबारियों की इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रही।
आरबीआइ कह रही सीमा नहीं, बैंक कह रहे एक हजार: सिक्का अधिनियम 2011 की धारा 6(1) को ढाल बनाकर बैंक 1000 रुपये तक के सिक्के जमा करने की बात कह रहे हैं, हालांकि वे यह भी नहीं जमा कर रहे हैं। हकीकत में बैंक खातों में सिक्का जमा करने के संबंध में कोई नियम है ही। खुद आरबीआइ ने जन सूचना के तहत दी जानकारी में इसे स्पष्ट किया है। इसके बाद भी बैंक आरबीआइ के नियम को तोड़मरोड़ कर अपने फायदे के लिए केंद्र सरकार के सपने, कारोबार और आम आदमी की जेब, सभी को झटका दे रहे हैं।
यू.पी और कानपुर के कारोबारियों की मजबूरी का फायदा दिल्ली उठा रहा है। कानपुर से लाखों की मात्रा में रेजगारी दिल्ली भेजी जा रही है। बीते एक महीने में दो बार ऐसे मामले पकड़े गए, जिसमें करीब साठ लाख रुपये की रेजगारी एक्सचेंज होने के लिए दिल्ली जा रही थी। यहां के एजेंट दिल्ली में रेजगारी को कम कमीशन पर बदल कर रुपया बना रहे हैं।
Sunday, 10 December 2017
ऑयल कंपनियों ने इजीटैप कंपनी और एचडीएफसी बैंक के साथ करार कर डिजिटल डिलीवरी कंफरमेशन योजना की शुरूआत की
02:29
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समय से सिलेंडर न मिलने व एक उपभोक्ता का सिलेंडर दूसरे को देने की समस्या आज भी आम है। शिकायत पर एजेंसी संचालक भी डिलीवरी मैन के उपर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। रियल टाइम डिलीवरी के लिए डिलीवरी मैन को हैंडहेल्ड डिवाइस दी जाएगी।
ऑयल कंपनियों ने इजीटैप कंपनी और एचडीएफसी बैंक के साथ करार कर डिजिटल डिलीवरी कंफरमेशन योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत डिलीवरी मैन को एक हैंडहेल्ड डिवाइस दी जाएगी। उपभोक्ताओं को सिलेंडर की आपूर्ति करते वक्त डिलीवरी मैन इस डिवाइस पर डिटेल अंकित करेंगे। डिटेल दर्ज होते ही उपभोक्ता के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा जिसे डिलीवरी मैन हैंडहेल्ड डिवाइस में पंच (दर्ज) करेगा। इसके बाद डिलीवरी प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी। यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह से होगी जैसे ऑनलाइन शापिंग में खरीदे गए प्रोडक्ट की डिलीवरी पर डिलीवरी मैन करते हैं।
दिए जाएंगे एलपीजी स्मार्ट कार्ड
रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर न होने की स्थिति में उपभोक्ताओं को एलपीजी स्मार्ट कार्ड दिए जाएंगे। यह स्मार्ट कार्ड हैंडहेल्ड डिवाइस में स्वैप करते ही डिलीवरी कंफर्म हो जाएगी।
डिजिटल पेमेंट कर सकेंगे उपभोक्ता
हैंडहेल्ड डिवाइस में डिजिटल पेमेंट का भी विकल्प है। इसके जरिये उपभोक्ता कैश की जगह क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और एटीएम समेत अन्य माध्यमों से डिजिटल पेमेंट भी कर सकेंगे।
डिलीवरी मैन को दिए जाएंगे स्मार्ट फोन
दरअसल हैंडहेल्ड डिवाइस को स्मार्ट फोन से जोड़ा जाएगा। गैस वितरक संघ के पदाधिकारी बताते हैं कि जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं हैं, उन्हे उपलब्ध कराए जाएंगे। जीपीएस आधारित इस डिवाइस के आने से डिलीवरी मैन कहां, कब और किसे सिलेंडर आपूर्ति करेंगे, यह सब एजेंसी संचालकों की निगाह में होगा।
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साफ्टवेयर में स्वत: दर्ज होगी सूचना
डिलीवरी मैन हैंडहेल्ड डिवाइस में जो भी सूचना अपडेट करेंगे वह तत्काल आइओसी के साफ्टवेयर इंडसाफ्ट में दर्ज हो जाएगी। इसी तरह बीपीसी और एचपीसी के साफ्टवेयर में भी सूचनाएं अपडेट हो जाएगी।
कम हो जाएगा एजेंसी संचालकों का काम
अभी पूरे दिन सिलेंडरों की डिलीवरी के बाद शाम को कूपन के आधार पर प्रत्येक डिलीवरी मैन से मिला डाटा कर्मचारी कंप्यूटर पर दर्ज करते हैं जिसमे काफी वक्त लगता है। हैंडहेल्ड डिवाइस के बाद इस काम से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि तब डिलीवरी के वक्त ही डाटा अपडेट हो जाएगा।
किसका क्या है काम
इस योजना के तहत इजीटैप कंपनी एक हैंडहेल्ड डिवाइस से मिला उपभोक्ता का डाटा सहेजकर रखेगी और सिलेंडर लेनदेन की प्रक्रिया का संचालन करेगी। वहीं डिवाइस के जरिये हुए भुगतान की जिम्मेदारी बैंक देखेगा।
इन समस्याओं से मिलेगी निजात
-बुकिंग के तीन से चार दिन बाद भी डिलीवरी नहीं मिलती
-उपभोक्ता एजेंसी में शिकायत करते हैं तब पता चलता है उनके खाते का सिलेंडर भेज दिया गया
-एजेंसी संचालकों को डिलीवर्ड सिलेंडरों की पूरी जानकारी शाम को हो पाती है
-बल्क में प्रतिदिन होने वाली मैनुअल डाटा फीडिंग में अक्सर गलती होती
-डिलीवरी मैन अक्सर एक उपभोक्ता का सिलेंडर दूसरे को डिलीवर कर देते हैं
-अभी सब्सिडी खाते में पहुंचने में चार से पांच दिन लगते हैं
'इस प्रक्रिया के आने से डिलीवरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ जाएगी। यह उपभोक्ताओं और एजेंसी संचालकों के लिए काफी हद तक बेहतर साबित होगा। डिवाइस मिल गई है। नए वर्ष से इसकी शुरूआत हो जाएगी।'
अमित पांडेय, महामंत्री गैस वितरक संघ
Friday, 8 December 2017
लोगों की सोच बदल रही है, मगर सरकारी दफ्तर के सिस्टम नहीं बदले !
23:23
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स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े विशेषज्ञ इस बात को कई मर्तबा दोहरा चुके हैं कि शौचालय बनवाना बड़ी बात नहीं, पीढि़यों पुरानी सोच बदलना चुनौती है। मगर, यहां तो उल्टी कहानी है। ये महिलाएं खुले में शौच नहीं जाना चाहतीं। वे घर में शौचालय बनवाना चाहती हैं। उनकी सोच तो बदल गई, लेकिन सरकारी सिस्टम ऐसा है कि नगर निगम के अधिकारी गंभीरता दिखा ही नहीं रहे।
कपली गांव, गंभीरपुर और गंगागंज पनकी क्षेत्र में हैं। यहां गरीब आबादी बहुतायत में है। क्षेत्र की महिलाएं शुक्रवार को उर्वशी महिला कल्याण सेवा समिति की अध्यक्ष ऊषा श्रीवास्तव की अगुआई में नगर निगम पहुंचीं। उनका कहना था कि हमारे क्षेत्र में अधिकांश घरों में शौचालय नहीं हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छ भारत मिशन शुरू हुआ। सभी को खुले में शौच जाने से मना किया गया तो हम लोगों ने शौचालय निर्माण के लिए नगर निगम में लिखित आवेदन किया। कर्मचारी घर गए। जगह देखी। शौचालय बनवाने का वादा किया, लेकिन आगे कोई प्रक्रिया नहीं बढ़ी। ऊषा श्रीवास्तव ने बताया कि डेढ़ माह पहले भी महिलाएं नगर निगम आई थीं। तब अधिकारियों ने कह दिया था कि निकाय चुनाव खत्म होने के बाद बनवाएंगे। मगर, उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। गुरुवार को महिलाएं निगम द्वार पर नगर आयुक्त अविनाश सिंह का इंतजार कर रही थीं। दोपहर तक वह नहीं पहुंचे तो उनके किसी अधीनस्थ को ज्ञापन सौंपकर लौट गई।
कपली गांव, गंभीरपुर और गंगागंज पनकी क्षेत्र में हैं। यहां गरीब आबादी बहुतायत में है। क्षेत्र की महिलाएं शुक्रवार को उर्वशी महिला कल्याण सेवा समिति की अध्यक्ष ऊषा श्रीवास्तव की अगुआई में नगर निगम पहुंचीं। उनका कहना था कि हमारे क्षेत्र में अधिकांश घरों में शौचालय नहीं हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छ भारत मिशन शुरू हुआ। सभी को खुले में शौच जाने से मना किया गया तो हम लोगों ने शौचालय निर्माण के लिए नगर निगम में लिखित आवेदन किया। कर्मचारी घर गए। जगह देखी। शौचालय बनवाने का वादा किया, लेकिन आगे कोई प्रक्रिया नहीं बढ़ी। ऊषा श्रीवास्तव ने बताया कि डेढ़ माह पहले भी महिलाएं नगर निगम आई थीं। तब अधिकारियों ने कह दिया था कि निकाय चुनाव खत्म होने के बाद बनवाएंगे। मगर, उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। गुरुवार को महिलाएं निगम द्वार पर नगर आयुक्त अविनाश सिंह का इंतजार कर रही थीं। दोपहर तक वह नहीं पहुंचे तो उनके किसी अधीनस्थ को ज्ञापन सौंपकर लौट गई।
06:20
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आधे-अधूरे सीओडी पुल पर चार दिन से चल रहा यातायात गुरुवार को बंद कर दिया गया। भले ही पुल पर चार दिन की यात्रा आफत भरी रही हो, लेकिन नौ साल से पुल चालू होने का इंतजार कर रहे लोगों को राहत खूब मिली। पुल पर जब सिर्फ डामर डालने का काम शेष बचा है तो एक बार फिर निर्माण कंपनी मजदूरों समेत साइट से गायब हो गई है।
नौ सालों से सीओडी पुल को बनाने वाली एसएच इंफ्राटेक तीसरी कंपनी है जो पीडब्ल्यूडी एनएच के अधिकारियों को अपने इशारों पर नचा रही है। 2014 में काम संभालने वाली कंपनी को 2016 में पुल का काम पूरा कर देना था। मगर, तारीख पर तारीख लेते हुए कंपनी काम को फंसाए हुए है। रोजाना डेढ़ लाख लोगों का आवागमन इस क्रासिंग से होता है। जीटी रोड पर नासूर जैसी यह क्रासिंग ट्रेनों के लोड की वजह से दिन में करीब 14-15 घंटे तक बंद रहती है। पूरे दिन जाम के हालात बने रहते हैं। पुल का लोड टेस्ट होने के बाद दोनों तरफ की लेन भी पूरी हो चुकी हैं, बस डामर डालने की देरी है। काम अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंचा कि कंपनी के अधिकारी मजदूर समेत फिर से कहीं निकल गए। नोटिस और टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई का भी असर कंपनी पर नहीं पड़ रहा है। चार लेन के इस पुल की दो लेन को चालू कराने पर ही सारा जोर लगा हुआ है, लेकिन निर्माण कंपनी की लापरवाही से नतीजा सिफर है। पीडब्ल्यूडी एनएच के अधिशाषी अभियंता एसके सिंह ने बताया कि कंपनी से बात की जा रही है और डामर डालकर पुल चालू करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। उम्मीद है कि इस माह पुल चालू कर दिया जाए।
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