Friday 8 December 2017

लोगों की सोच बदल रही है, मगर सरकारी दफ्तर के सिस्टम नहीं बदले !

स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े विशेषज्ञ इस बात को कई मर्तबा दोहरा चुके हैं कि शौचालय बनवाना बड़ी बात नहीं, पीढि़यों पुरानी सोच बदलना चुनौती है। मगर, यहां तो उल्टी कहानी है। ये महिलाएं खुले में शौच नहीं जाना चाहतीं। वे घर में शौचालय बनवाना चाहती हैं। उनकी सोच तो बदल गई, लेकिन सरकारी सिस्टम ऐसा है कि नगर निगम के अधिकारी गंभीरता दिखा ही नहीं रहे।

कपली गांव, गंभीरपुर और गंगागंज पनकी क्षेत्र में हैं। यहां गरीब आबादी बहुतायत में है। क्षेत्र की महिलाएं शुक्रवार को उर्वशी महिला कल्याण सेवा समिति की अध्यक्ष ऊषा श्रीवास्तव की अगुआई में नगर निगम पहुंचीं। उनका कहना था कि हमारे क्षेत्र में अधिकांश घरों में शौचालय नहीं हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छ भारत मिशन शुरू हुआ। सभी को खुले में शौच जाने से मना किया गया तो हम लोगों ने शौचालय निर्माण के लिए नगर निगम में लिखित आवेदन किया। कर्मचारी घर गए। जगह देखी। शौचालय बनवाने का वादा किया, लेकिन आगे कोई प्रक्रिया नहीं बढ़ी। ऊषा श्रीवास्तव ने बताया कि डेढ़ माह पहले भी महिलाएं नगर निगम आई थीं। तब अधिकारियों ने कह दिया था कि निकाय चुनाव खत्म होने के बाद बनवाएंगे। मगर, उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। गुरुवार को महिलाएं निगम द्वार पर नगर आयुक्त अविनाश सिंह का इंतजार कर रही थीं। दोपहर तक वह नहीं पहुंचे तो उनके किसी अधीनस्थ को ज्ञापन सौंपकर लौट गई।

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